Sunday 25 December 2011
Sunday 11 December 2011
SC Bedi's Kahar Ki Devi
एस. सी. बेदी के पाठकों के लिए
राजन इकबाल का महाविशेषांक: कहर की देवीएस सी बेदी की कलम से निकला एक शानदार शाहकार... जिसमे राजन इक़बाल के सभी नायक और खलनायक मौजूद हैं.
Download now:
कहर की देवी: भाग १
कहर की देवी: भाग १
Saturday 26 November 2011
Rajan Iqbal's new novel after 10 years- Rajan Iqbal ki Vapsi is PUBLISHED- Order now
सभी पाठकों के समर्थन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
आखिरकार......
"राजन इक़बाल की वापसी" आज प्रकाशित हो रहा है.
Downoad E-Book: राजन इकबाल की वापसी @Rs 15 only
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Rajan Iqbal Ki Vapsi available in PRINT & E-BOOK FORMAT
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Order: 2 in 1 digest (राजन इक़बाल की वापसी + मौत का जादू) at low price:
पढ़ने के बाद अपनी राय हमें अवश्य भेजियेगा.
इंतज़ार में-
शुभानन्द व राजन इक़बाल टीम
Sunday 20 November 2011
Rajan Iqbal ki Vapsi- Draft is finished.
राजन इकबाल की वापसी-
इस उपन्यास में हमारे सीक्रेट एजेन्ट ऐसे खतरनाक मिशन पर जाते हैं, जहाँ चारों तरफ खतरा है. गोलियों की बौछारे उनका इंतज़ार कर रही हैं. बम के गोले उन को भस्म करने के लिए बेचैन हैं.
सलमा मौत के मुंह में गिर जाती है.
मिलती है तो बस सलमा की लाश!
क्या होगा इक़बाल का सलमा के बिना? क्या वो जी सकेगा? क्या वे लोग सलमा की मौत का बदला ले सकेंगे?
इन सभी प्रश्नों का उत्तर इसी उपन्यास में मिलेगा.
Wednesday 16 November 2011
Rajan Iqbal ki Vapsi is about to finish
बस कुछ ही लाइनें शेष हैं -
की
हमारे प्रिय पाठक जो उत्सुकता से उसका इंतजार कर रहे हैं, उनके लिए कुछ और पंक्तियाँ-
...............“मैं भूत हूँ! तुझे खा जाऊंगा.” कहते हुए इक़बाल ने उसकी गर्दन पकड़ ली. पर वो साया भी कम न था. उसने इकबाल को पीछे की तरफ धकेल दिया. इससे पहले की वो सभाल पाता, साये ने उसके पर कुर्सी फेंक दी. इक़बाल एक तरफ कूद गया.
“अबे! इक़बाल दी ग्रेट पर हमला करता है, अभी ले...”
इससे पहले की इक़बाल उठता, साये ने दौड़ लगा दी.
इक़बाल पीछे भागा. दोनों बाहर आ गए. साया दौड़ते हुए चारदीवारी कूद गया.
जबतक इक़बाल दूसरी तरफ पहुंचा, वो बाइक स्टार्ट कार रहा था. इक़बाल तेजी-से अपनी कार की तरफ लपका. कार में उसके इस तरह उछलकर बैठने से सलमा की नींद खुल गयी.
“क्या हुआ?” उसने नींद में पूछा.
इक़बाल ने कुछ नहीं कहा और जल्दी-से कार स्टार्ट करके दौड़ा दी.
बाइक काफी दूर निकल गई थी. इक़बाल कार को फुल स्पीड पर ले आया.
“कौन है ये?” सलमा ने पूछा.
“कालू द ड्रग पेडलर का भूत.”
“क्या??”
“हाँ! अंदर मैनेजर के घर में भांगड़ा कर रहा था.”
“इक्को! ठीक से बताओ.”
“अरे! मुझे नहीं मालूम.” इक़बाल का पूरा ध्यान ड्राइविंग पर था......................
Friday 11 November 2011
Few more lines from- "Rajan iqbal ki Vapsi"
से कुछ और पंक्तियाँ-
.....................“ओके! थैंक्स कैप्टेन. तुमसे मिलकर काफी खुशी हुई.” राजन ने कहा.
कैप्टन रणजीत ने सबसे विदा ली. उसके जाते ही इकबाल तेज आवाज़ में बोला-
“तो ये बात है, भाईजान को डांस करना है, दारू पीनी है.”
राजन को डांस करता सोचकर शोभा खिलखिला के हंस दी. सलमा भी हँसने लगी, और इकबाल तो बाकायदा ऊट-पटांग ढंग से उछल-उछल के नाचने लगा. उसे देखकर सलमा-शोभा हंस-हंस के दोहरी हो गयी.
राजन चुपचाप खड़ा रहा, इकबाल उसके पास आकर, वाकई किसी बार-डांसर की तरह, उसके चारों तरफ थिरकने लगा. राजन की हंसी भी फूट पड़ी, जिसे उसने किसी तरह से दबा रखा था. सलमा तो पेट पकड़ के सोफे पे गिर गयी.
“ओह...बस करो इक्को...पेट में दर्द...हो गया.”
“बस कर!” राजन ने उसे एक तरफ धकेल दिया. “बाकि का डांस बार में करना. कुछ पैसे मिल जायेंगे”.............................................
पूरी कहानी जल्द ही आ रही है- इन्तजार करिये "राजन इकबाल की वापसी" का.
Thursday 10 November 2011
Random lines from Upcoming Rajan Iqbal's Novel
दस सालों के लंबे इन्तेज़ार के बाद- राजन इकबाल का नया उपन्यास आ रहा है-
इसी उपन्यास की कुछ पंक्तियाँ-
......."क्या देख रहे हो राजन?" सलमा ने पूछा.
राजन के जवाब देने से पहले ही इकबाल बोला- "अरे! सल्लो डार्लिंग तुम समझती नहीं हो. राजन को आज शोभा भाभी बहुत अच्छी लग रही है."
"चुप रहो!" राजन ने फटकार लगाई. "मैं देख रहा हूँ- तुम लोग इस तरह तैयार हो कर आये हो जैसे केस सौल्व करने नहीं बल्कि पिकनिक पे जा रहे हो."
सलमा ने आश्चर्य-से शोभा की तरफ देखा और बोली- "तो क्या हम वहां काम से जा रहे हैं? पर इक्को तुम तो कह रहे थे हम घूमने फिरने जा रहे हैं."
"तो ये तुम्हारी करतूत है. झूठ बोलना..." कहकर राजन ने एक घूँसा इकबाल की पीठ पे जड़ दिया.
"अरे मार डाला." इकबाल पीठ सहलाने लगा. राजन ने कार स्टार्ट कर दी. "मैं तो इन लोगो में उत्साह भरने की कोशिश कर रहा था. तुम्हे अपने हथोड़े को निकलने की क्या ज़रुरत थी? चार-पांच हड्डियाँ अवश्य टूट गयी होंगी."
"इक्को तुम चुप रहो." सलमा गुस्से से बोली-"हमसे ऐसा झूठ बोलने की क्या ज़रुरत थी. हम लोग भी काम के लिए उत्साहित रहते हैं."
"अच्छा! मुझे तो लगा तुम मेरी आलस्य से भरी ज़िन्दगी में मेरा पूरा साथ दोगी." कहकर इकबाल ने बड़ी-सी उबासी ली, फिर आँखों पे रुमाल ढक के सोने की कोशिश करने लगा. राजन ने बुरा-सा मुंह बनाते हुए उसे देखा..........
Monday 31 October 2011
राजन इकबाल की वापसी (Rajan Iqbal ki Vapsi)
Rajan Iqbal Returns!!!!
Rajan Iqbal Returns!!!!
राजन इकबाल एक बार फिर वापस आ रहे हैं.
सिर्फ और सिर्फ अपने प्रेरक पाठकों के प्यार और दुलार के कारण.
आज-कल के internet ज़माने का लाभ उठाते हुए हमारी Team ने ये निर्णय लिया है कि इन उपन्यासों को online publish किया जायेगा. इस तरह से हमारे पाठक जो कि देश-विदेश में हैं, वो सभी इनका आसानी से आनंद उठा पाएंगे.
ये नए उपन्यास पढ़ के न सिर्फ आपको राजन इकबाल का वो पुराना दौर याद आ जायेगा, बल्कि उनको नए ज़माने में नयी तकनीकी का प्रयोग करते भी देख सकेंगे. जैसे की- Mobiles, Internet, GPS आदि.
राजन-शोभा व सलमा-इकबाल के संबंधों की गहराई भी इनमे बढती हुई दिखाई देगी. साथ में आपके प्यारे पात्र - नफीस, इंस्पेक्टर बलबीर (अब सुप्रिटेंडेंट बन गए हैं), फिंगही, सूरज, लारेन, भारत, डॉक्टर डारकेन, जेनेट पावेल भी एक बार फिर आपसे मिल सकेंगे.
हमारी गारंटी है कि- ये उपन्यास, आपका उनके पुराने उपन्यासों से भी ज्यादा मनोरंजन करेंगे और एक-से एक नयी कहानियां आपको रोमांचित कर देंगी.
तो हमारे मित्रों, हमारे इस Blog को follow या join करिये, ताकि हमें पता चल सके कितने लोग हमारे इस मिशन में हमारा साथ देने को तैयार हैं.
आप हमें mail भी कर सकते हैं - rajaniqbal999@gmail.com.
Rajan Iqbal Returns!!!!
राजन इकबाल एक बार फिर वापस आ रहे हैं.
सिर्फ और सिर्फ अपने प्रेरक पाठकों के प्यार और दुलार के कारण.
Online surveys और लाखों पुराने पाठकों के feedback से पता चला है कि वह अभी भी उनके पॉकेट बुक्स को याद करते हैं, और उन्हें पढ़ना चाहते हैं. पर अब उनके उपन्यास Market में उपलब्ध नहीं है.
आज-कल के internet ज़माने का लाभ उठाते हुए हमारी Team ने ये निर्णय लिया है कि इन उपन्यासों को online publish किया जायेगा. इस तरह से हमारे पाठक जो कि देश-विदेश में हैं, वो सभी इनका आसानी से आनंद उठा पाएंगे.
ये नए उपन्यास पढ़ के न सिर्फ आपको राजन इकबाल का वो पुराना दौर याद आ जायेगा, बल्कि उनको नए ज़माने में नयी तकनीकी का प्रयोग करते भी देख सकेंगे. जैसे की- Mobiles, Internet, GPS आदि.
राजन-शोभा व सलमा-इकबाल के संबंधों की गहराई भी इनमे बढती हुई दिखाई देगी. साथ में आपके प्यारे पात्र - नफीस, इंस्पेक्टर बलबीर (अब सुप्रिटेंडेंट बन गए हैं), फिंगही, सूरज, लारेन, भारत, डॉक्टर डारकेन, जेनेट पावेल भी एक बार फिर आपसे मिल सकेंगे.
हमारी गारंटी है कि- ये उपन्यास, आपका उनके पुराने उपन्यासों से भी ज्यादा मनोरंजन करेंगे और एक-से एक नयी कहानियां आपको रोमांचित कर देंगी.
तो हमारे मित्रों, हमारे इस Blog को follow या join करिये, ताकि हमें पता चल सके कितने लोग हमारे इस मिशन में हमारा साथ देने को तैयार हैं.
आप हमें mail भी कर सकते हैं - rajaniqbal999@gmail.com.
तो फिर इंतज़ार करिए, बहुत ही जल्द उस विश्व-प्रसिद्ध जोड़ी के वापस आने का.
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