एक ही दिन में उसके हाथों दो क़त्ल हुए- एक उसके दुश्मन का दूसरा उसका जिसे वो पागलपन की हद तक प्यार करता था।
वह एक बदकिस्मत कातिल था।
पर उसकी किस्मत कुछ ऐसी थी कि जावेद-अमर-जॉन उसे अंत तक पकड़ न सके।
पेश है जावेद अमर जॉन का दूसरा कारनामा
लेखक - शुभानन्द , कवर- हरजीत, मनमीत व ज्योति सिंह