Thursday 10 November 2011

Random lines from Upcoming Rajan Iqbal's Novel

दस सालों के लंबे इन्तेज़ार के बाद- राजन इकबाल का नया उपन्यास आ रहा है-



इसी उपन्यास की कुछ पंक्तियाँ-



......."क्या देख रहे हो राजन?" सलमा ने पूछा.
राजन के जवाब देने से पहले ही इकबाल बोला- "अरे! सल्लो डार्लिंग तुम समझती नहीं हो. राजन को आज शोभा भाभी बहुत अच्छी लग रही है."
"चुप रहो!" राजन ने फटकार लगाई. "मैं देख रहा हूँ- तुम लोग इस तरह तैयार हो कर आये हो जैसे केस सौल्व करने नहीं बल्कि पिकनिक पे जा रहे हो."
सलमा ने आश्चर्य-से शोभा की तरफ देखा और बोली- "तो क्या हम वहां काम से जा रहे हैं? पर इक्को तुम तो कह रहे थे हम घूमने फिरने जा रहे हैं."
"तो ये तुम्हारी करतूत है. झूठ बोलना..." कहकर राजन ने एक घूँसा इकबाल की पीठ पे जड़ दिया.
"अरे मार डाला." इकबाल पीठ सहलाने लगा. राजन ने कार स्टार्ट कर दी. "मैं तो इन लोगो में उत्साह भरने की कोशिश कर रहा था. तुम्हे अपने हथोड़े को निकलने की क्या ज़रुरत थी? चार-पांच हड्डियाँ अवश्य टूट गयी होंगी."
"इक्को तुम चुप रहो." सलमा गुस्से से बोली-"हमसे ऐसा झूठ बोलने की क्या ज़रुरत थी. हम लोग भी काम के लिए उत्साहित रहते हैं."
"अच्छा! मुझे तो लगा तुम मेरी आलस्य से भरी ज़िन्दगी में मेरा पूरा साथ दोगी." कहकर इकबाल ने बड़ी-सी उबासी ली, फिर आँखों पे रुमाल ढक के सोने की कोशिश करने लगा. राजन ने बुरा-सा मुंह बनाते हुए उसे देखा..........

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